“स्वदेशी विज्ञान” ई-जर्नल की प्रथम सम्पादकीय लेख लिखते हुए हमें बहुत सुखद अनुभूति एवं गर्व हो रहा है. इस ई-जर्नल की स्थापना का विचार एवं मूर्त रूप प्रदान करने के बीच में अधिक समय नहीं लगा और यह सब हमारी युवादल के दृढ संकल्प, उत्साही प्रवृति एवं लगन का परिणाम है. इसकी स्थापना का विचार दिंनाक २८ मार्च, २०१६ (28th March, 2016) को खज्जियार, (चंबा, हिमाचल प्रदेश) के रमणीय व शांत वातावरण में, संध्या बेला के समय हुआ जब डॉ. अरुण कुमार मौर्य मेरे साथ हिंदी भाषी छात्रों, शिक्षकों व वैज्ञानिकों के आधुनिक विज्ञान जगत में काफी पीछे होने को लेकर गंभीर चर्चा कर रहे थे. चर्चा का मुद्दा हिंदी भाषी समुदायों में आधुनिक विश्वस्तरीय विज्ञान की उथली पैठ को लेकर था. हमें यह अहसास हुआ कि कुछ ऐसा कार्य किया जाए जिससे हिंदी भाषी छात्रों, शिक्षकों व वैज्ञानिकों को आधुनिक विज्ञान से जोड़ा जा सके ताकि वे भी खुद को अद्यतन रखे एवं किसी भी स्तर पर खुद को कम ना आंकें, साथ ही साथ प्रवेश-परीक्षा (entrance examination) व अन्य पारंपरिक परीक्षाओं (conventional examination) में बैठने वाले छात्र एवं प्रतियोगी समान रूप से स्व-भाषा में उत्तरों की अभिव्यक्ति करें. दिल्ली पहुँचते ही हमने अपने ई-जर्नल “बायोइन्फरमेटिक्स रिव्यु” (Bioinformatics Review; www.bioinformaticsreview.com) की कोर टीम से चर्चा की एवं इस संकल्प पर युद्धस्तर पर कार्य शुरू हो गया. इस जर्नल की अवधारणा का वर्णन जब हमने अपने गणमान्य संरक्षक प्रोफेसर गणेश शंकर पालीवाल जी, प्रोफेसर आर. पी. सक्सेना जी व मुख्य संपादक डॉ. सी. सदासिवा के समक्ष प्रस्तुत किया, तो उन्होंने हमें प्रोत्साहित करते हुए अपने आशीर्वाद के साथ सहर्ष इस कार्य में जुड़ने की सहमति भी दे दी, जिसके परिणामस्वरूप यह ई-जर्नल अपने वर्तमान अस्तित्व में आ गया. इस ई-जर्नल की मूल-अवधारणा एवं उद्देश्य “हमारे बारें में” अनुभाग (“About Us” section) में पहले ही दिया जा चुका है, अतः उसकी पुनरावृति करना यहाँ आवश्यक नहीं है. मैं और डॉ. अरुण कुमार मौर्य इस सम्पादकीय के माध्यम से उन सभी को धन्यवाद करना चाहेंगे जिन्होंने हमारा मनोबल बढाया, हमसे लेखन द्वारा जुड़े, और हमें कई सुझाव भी दिए ताकि यह प्रयास और बढ़िया बने. इन नामों में डॉ. राजेंद्र गुप्ता मुख्य हैं जिन्होंने समय की कमी एवं पूर्णतः व्यस्त होने के बावजूद ई-जर्नल का सलाहकार होना स्वीकार किया.
हम अपने सहयोगियों की ओर से सभी गणमान्य जनों को धन्यवाद तथा पाठकों को सकारात्मक भागीदारी के लिए आमंत्रित करते हैं कि वे हमसे जुडें, जिससे हम हिंदी को आधुनिक विज्ञान की एक भाषा के रूप में स्थापित कर सकने में सफल हो.
सधन्यवाद,
मुख्य कार्यकारी संपादक
डॉ. प्रशांत पंत एवं डॉ. अरुण कुमार मौर्य
एवं प्रबंधकीय संपादक मुनीबा फायज़ा, तारिक अब्दुल्लाह
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